नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2023 को कोयम्बटूर में दक्षिण भारतीय प्राकृतिक कृषि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) का 21वाँ किस्त जारी किया। इस बार ₹18,000 करोड़ सीधे 9 करोड़ योग्य किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए — हर एक को ₹2,000 मिले। यह देश के सबसे बड़े कृषि सहायता कार्यक्रम का अब तक का सबसे बड़ा एकल भुगतान नहीं, बल्कि उसकी स्थिरता का संकेत है।
क्यों कोयम्बटूर? बिहार और वाराणसी की अटकलों का अंत
पहले कई अटकलें थीं कि इस बार किस्त का घोषणा स्थल बिहार या वाराणसी होगा — दोनों जगहें किसानों के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। लेकिन सरकार ने एक अलग रास्ता चुना। कोयम्बटूर का चयन न सिर्फ एक जियोपॉलिटिकल सिग्नल था, बल्कि एक नए दृष्टिकोण का प्रतीक भी। यहाँ किसानों के लिए न केवल पैसा, बल्कि एक नई खेती की दिशा भी दी गई।इस सम्मेलन में तमिलनाडु, पुदुचेरी, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से लगभग 50,000 लोग शामिल हुए — किसान, शोधकर्ता, जैविक उत्पाद आपूर्तिकर्ता और कृषि नवाचार। यहाँ बात हुई जैविक खेती के बाजार लिंकेज, ग्रामीण उद्यमिता और स्थानीय कृषि प्रौद्योगिकियों के बारे में। मोदी ने कहा, "यह सम्मेलन किसानों, शोधकर्ताओं और नवाचारियों को एक साथ लाता है — जहाँ रासायनिक खाद की जगह प्रकृति खड़ी हो रही है।"
कौन पात्र है? और कैसे पता करें कि आपका नाम है सूची में?
PM-KISAN का लाभ केवल जमीनदार किसान परिवारों को मिलता है। निम्नलिखित लोग इसके लिए अयोग्य हैं:- संवैधानिक पद पर कार्यरत या सेवानिवृत्त व्यक्ति
- सरकारी कर्मचारी
- व्यावसायिक आय ₹10 लाख से अधिक वाले
- पिछले आकलन वर्ष में आयकर देने वाले
- संस्थागत जमीन धारक
भुगतान पाने के लिए तीन शर्तें हैं: नाम PM-Kisan पोर्टल पर होना चाहिए, e-KYC पूरा होना चाहिए, और बैंक खाता आधार से लिंक होना चाहिए। किसान PM-Kisan.gov.in पर जाकर, 'फार्मर्स कॉर्नर' > 'बेनिफिशियरी लिस्ट' पर क्लिक करके अपने राज्य, जिला, ब्लॉक और गाँव का चयन करके अपनी स्थिति चेक कर सकते हैं।
राजनीति और जनता की प्रतिक्रिया: '#VanakkamModi' का रास्ता
इस भुगतान से पहले, तमिलनाडु भाजपा ने '#VanakkamModi' अभियान शुरू किया। वनथी श्रीनिवासन, जो कोयम्बटूर दक्षिण की विधायक और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, ने कहा, "हम तैयार थे — रोडशो, जनसमूह और जनता की भागीदारी से भरा एक शक्तिशाली कार्यक्रम।"यह अभियान सिर्फ एक राजनीतिक दृश्य नहीं था। यह एक संदेश था: किसान सहायता का विषय अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक भी हो गया है। जहाँ एक ओर दक्षिण भारत के किसान जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीति उन्हें अपना बुनियादी आधार बना रही है।
कुल भुगतान ₹2.34 लाख करोड़: एक अभूतपूर्व योजना
2019 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक ₹2.34 लाख करोड़ से अधिक का भुगतान हो चुका है। यह किसी भी देश के किसान सहायता कार्यक्रम में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। प्रत्येक योग्य किसान को वार्षिक ₹6,000 मिलते हैं — तीन किस्तों में। पिछली किस्त (20वाँ) 2 अगस्त 2023 को ₹20,500 करोड़ के साथ जारी की गई थी, जब लगभग 9.7 करोड़ किसानों को भुगतान किया गया था।यह योजना कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाई जाती है, लेकिन इसके पीछे तकनीकी समर्थन विद्युत और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय भुगतान निगम ऑफ इंडिया का है। यह एक ऐसा सिस्टम है जो डिजिटल बैंकिंग, आधार और फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) को एक साथ जोड़ता है।
अगला कदम: क्या जैविक खेती का भविष्य है?
इस भुगतान के साथ सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वह केवल पैसा देने तक सीमित नहीं है। अब वह उस पैसे को एक नए खेती के दृष्टिकोण से जोड़ रही है — जैविक, टिकाऊ, रासायनिक-मुक्त।क्या यह सफल होगा? तमिलनाडु और कर्नाटक में कुछ किसान समूह पहले से ही जैविक खेती के साथ बाजार लिंक बना रहे हैं। लेकिन चुनौती बड़ी है: जैविक उत्पादों की कीमतें अभी भी ऊँची हैं, और खरीदारों की समझ कम है। अगर सरकार इस बात को समझे कि बस पैसा देने से काम नहीं चलेगा — बल्कि शिक्षा, बाजार और लॉजिस्टिक्स की जरूरत है — तो यह योजना भारत के कृषि भविष्य को बदल सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
PM-Kisan का अगला किस्त कब आएगा?
आमतौर पर PM-Kisan के तीन किस्तें वर्ष में जारी होती हैं — फरवरी, अगस्त और दिसंबर। अगली किस्त दिसंबर 2023 के अंत तक आने की उम्मीद है। हालाँकि, इस बार नवंबर में जारी किया गया, जिससे अगली किस्त के लिए अनुमानित समय शिफ्ट हो सकता है। सरकार ने अभी तक अधिकृत तारीख नहीं बताई है।
क्या आधार नहीं है तो क्या पैसा मिलेगा?
नहीं। PM-Kisan के लिए आधार से बैंक खाता लिंक करना अनिवार्य है। बिना आधार लिंक के, यहाँ तक कि अगर आपका नाम बेनिफिशियरी लिस्ट में है, तो भी भुगतान नहीं होगा। यह नियम धोखाधड़ी रोकने और सीधे भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए है। आधार लिंक करने के लिए आप अपने बैंक शाखा या आधार सेवा केंद्र पर जा सकते हैं।
क्या छोटे किसान और अनुसूचित जाति के किसान भी इसमें शामिल हैं?
हाँ। PM-Kisan कोई जाति या आय के आधार पर भेदभाव नहीं करता। यह सभी जमीनदार किसान परिवारों के लिए है, चाहे वे छोटे किसान हों, अनुसूचित जाति के हों या आदिवासी। एकमात्र शर्त है कि उनके पास जमीन का कागजात हो और वे अयोग्य श्रेणी में न हों। इसलिए यह योजना गरीबी में रहने वाले किसानों के लिए एक बड़ा सहारा है।
क्या यह योजना अब भी नए किसानों को शामिल कर रही है?
हाँ। हर साल नए किसान जोड़े जाते हैं, खासकर जिनके पास पहले से जमीन का दस्तावेज हो लेकिन बेनिफिशियरी लिस्ट में नहीं थे। राज्य सरकारें अपने डेटा को अपडेट करती हैं और नए नाम जोड़ती हैं। आप अपने गाँव के कृषि अधिकारी से संपर्क करके अपना नाम जोड़वाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
क्या इस योजना के तहत कोई ब्याज या ऋण भी मिलता है?
नहीं। PM-Kisan सीधा नकद भुगतान है — ऋण या ब्याज नहीं। लेकिन इसके बाद, किसान अपने भुगतान का उपयोग खेती के लिए बीज, खाद या यंत्र खरीदने में कर सकते हैं। कुछ राज्य इस भुगतान के आधार पर किसानों को बैंक ऋण के लिए आसानी प्रदान कर रहे हैं।
क्या इस योजना के कारण खेती की उत्पादकता बढ़ी है?
कुछ राज्यों में जहाँ किसानों ने इस धन का उपयोग बेहतर बीज, सिंचाई और जैविक खाद में किया, उत्पादकता में 15-20% की बढ़ोतरी देखी गई है। लेकिन यह आँकड़ा राज्य-वार अलग है। राष्ट्रीय स्तर पर आधिकारिक आँकड़े अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। एक बात स्पष्ट है: जब किसान के पास नकदी होती है, तो वह जोखिम लेने के लिए तैयार होता है — और यही उत्पादकता का आधार है।