22 नवंबर 2025 को फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कैंपस पर एक अजीब सा माहौल था। MBBS के छात्रों के अभिभावक एकत्रित हुए, चेहरों पर घबराहट, हाथों में प्रश्न। वो नहीं जानते थे कि उनके बच्चों की पढ़ाई का भविष्य क्या है। इसका कारण? NAAC ने यूनिवर्सिटी को 15 दिन का नोटिस भेजा था — और वो नोटिस बहुत गंभीर था।
ए प्लस मान्यता खत्म, लेकिन वेबसाइट पर अभी भी दिख रही थी
NAAC ने बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की ए प्लस गुणवत्ता मान्यता अप्रैल 2018 में ही समाप्त हो चुकी थी। लेकिन अब तक, यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर यह जानकारी बनी हुई थी — जैसे कुछ नहीं हुआ हो। छात्रों और अभिभावकों को लग रहा था कि यूनिवर्सिटी अभी भी उच्चतम स्तर पर है। ये भ्रम जानबूझकर नहीं, बल्कि एक तकनीकी गलती के कारण हुआ, जैसा कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कहा।
"हमने वेबसाइट से ए प्लस की जानकारी दो साल पहले हटा दी थी," बताया गया। "लेकिन एक डिजाइन एरर के कारण, यह फिर से लोड होने लगी। हम इसके लिए खुश हैं और माफी मांगते हैं।" लेकिन अभिभावकों के लिए ये बहुत कम था। एक पिता बोले, "हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए पैसे खर्च कर रहे हैं। अगर यूनिवर्सिटी की मान्यता नहीं है, तो डिग्री का क्या होगा?"
एनएमसी का आश्वासन, लेकिन दिल्ली ब्लास्ट का छायापात
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने अभिभावकों को आश्वासन दिया: "राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने दो साल पहले ही MBBS सीटों को 150 से बढ़ाकर 200 कर दिया है। यह बात काफी स्पष्ट है — यूनिवर्सिटी सरकार की नजर में है।"
लेकिन यहां एक बड़ा नंबर छिपा हुआ था — दिल्ली ब्लास्ट। नवंबर 2025 में दिल्ली में हुए आतंकी हमले के बाद, पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर या स्टाफ के रूप में काम करते थे। NDTV की रिपोर्ट में साफ कहा गया: "पकड़े गए आरोपी यूनिवर्सिटी में नौकरी करते थे।" ये खबर जैसे ही फैली, यूनिवर्सिटी के नाम पर सवाल उठने लगे।
अल्पसंख्यक दर्जा खत्म करने का नोटिस और ईडी की जांच
ये सब तो बस शुरुआत थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने भी यूनिवर्सिटी को नोटिस भेजा — और उसमें एक बहुत गंभीर बात थी। आयोग ने कहा कि यूनिवर्सिटी के संस्थापक, डॉ. उमर, जिनकी गाड़ी में ब्लास्ट हुआ था, उनके साथ जुड़े कई आरोपी इसी यूनिवर्सिटी में काम करते थे। इसलिए, यूनिवर्सिटी का "अल्पसंख्यक संस्थान" का दर्जा खत्म कर दिया जाए। 4 दिसंबर 2025 तक यूनिवर्सिटी को अपना पक्ष रखना होगा।
और फिर आई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की बात। ET Now की रिपोर्ट के मुताबिक, ED ने यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेन-देन पर शिकंजा लगा दिया है। एक हजार से अधिक छात्र और फैकल्टी सदस्य अब घबरा गए हैं। कुछ शिक्षक बोल रहे हैं कि उनके वेतन अब तक देर से मिल रहे हैं। ये नहीं बताया गया कि क्या ये अनियमितताएं आतंकी धन के लिए इस्तेमाल हो रही थीं — लेकिन सवाल अब खुद ब खुद उठ रहे हैं।
क्या यूनिवर्सिटी बंद होगी?
अभी तक, कोई ऑफिशियल आदेश नहीं आया है कि क्लासेस रोक दी जाएं। लेकिन यूनिवर्सिटी के बाहर, अभिभावकों के बीच एक डर फैल रहा है। एक माँ ने कहा, "मैंने अपना घर बेचकर इसके लिए पैसे जुटाए। अब अगर डिग्री बेकार हो गई, तो मेरा भविष्य क्या होगा?"
NAAC ने इस मामले को गंभीरता से लिया है — और लगभग 25 अन्य संस्थानों को भी नोटिस भेजे हैं। लेकिन अल-फलाह के मामले में, यूनिवर्सिटी ने तुरंत वेबसाइट ठीक कर दी है। इसलिए, अभी तक कोई जुर्माना या बंदी की सजा नहीं हुई। लेकिन ये सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं है। ये एक भरोसे का सवाल है।
क्या आगे कुछ होगा?
अगर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग अल्पसंख्यक दर्जा खत्म कर देता है, तो यूनिवर्सिटी को अपनी छात्र नीति बदलनी पड़ेगी। अगर ED की जांच में कोई अवैध धन लेन-देन सामने आया, तो यह एक आपराधिक मामला बन सकता है। और अगर NMC ने भी इसकी मान्यता रद्द कर दी, तो लगभग 1,200 छात्रों का भविष्य धुंधला हो जाएगा।
एक बात साफ है — यूनिवर्सिटी के लिए अब बस जवाब देना काफी नहीं है। उन्हें भरोसा बनाना होगा। और वो भरोसा, जो एक वेबसाइट के डिजाइन एरर से नहीं, बल्कि एक बार फिर अच्छी नीतियों, पारदर्शिता और जिम्मेदारी से बनता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की ए प्लस मान्यता अभी भी वैध है?
नहीं। NAAC के अनुसार, यूनिवर्सिटी की ए प्लस मान्यता अप्रैल 2018 में समाप्त हो चुकी है। वेबसाइट पर इसका दिखावा तकनीकी त्रुटि के कारण हुआ, जिसे अब ठीक कर दिया गया है। लेकिन ये गलती छात्रों को भ्रमित कर रही थी, जिसके लिए NAAC ने नोटिस जारी किया।
क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी की MBBS डिग्री मान्य है?
अभी तक, NMC ने कोई डिग्री रद्द करने का फैसला नहीं किया है। दो साल पहले उन्होंने सीटों को 200 तक बढ़ाया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यूनिवर्सिटी अभी भी उनकी निगरानी में है। लेकिन अगर NAAC या NMC आगे कोई कार्रवाई करते हैं, तो डिग्री की मान्यता पर सवाल उठ सकता है।
दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से कैसे जुड़े हैं?
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, वे अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर या स्टाफ के रूप में काम करते थे। इसका सीधा संबंध ब्लास्ट से नहीं साबित हुआ है, लेकिन इस जानकारी ने यूनिवर्सिटी के नाम पर संदेह पैदा कर दिया है।
अल्पसंख्यक दर्जा खत्म होने का क्या मतलब है?
अगर यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रद्द हो गया, तो वह 85% आरक्षित सीटें खो देगी। इसका मतलब है कि अब यह सभी छात्रों के लिए सामान्य आधार पर भर्ती करेगी — जिससे इसके अधिकांश छात्रों की भर्ती क्षमता घट जाएगी। यह एक वित्तीय और सामाजिक झटका होगा।
क्या प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यूनिवर्सिटी के संपत्ति जब्त की है?
अभी तक, ED ने कोई संपत्ति जब्त नहीं की है। लेकिन उन्होंने यूनिवर्सिटी के बैंक खातों और वित्तीय लेनदेन पर जांच शुरू कर दी है। यदि कोई धोखाधड़ी या आतंकी धन लेनदेन पाया जाता है, तो जब्ती की कार्रवाई तुरंत शुरू हो सकती है।
क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी के छात्र अभी क्लासेस देख रहे हैं?
हां, अभी तक क्लासेस चल रही हैं। यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने यह आश्वासन दिया है। लेकिन कई छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। कुछ ने प्रवेश रद्द करने का विचार किया है, और कुछ ने अन्य यूनिवर्सिटियों में स्थानांतरण के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया है।