भारतीय संस्कृति में सादा जीवन और उच्च विचार महत्त्वपूर्ण:- स्वामी गुरदीप गिरि महाराज जी।

प्रवचनों के दौरान स्वामी जी।
पठानकोट, 09 नवंबर, सूरज सैनी:- आज का युग भौतिकवादी हो गया है। इसमें दिखावे की प्रवृति निरंतर बढ़ती जा रही है और इसी कारण अशांति बढ़ रही है। भारतीय संस्कृति में सादा जीवन और उच्च विचार को बडा़ महत्त्व दिया गया है। इन शब्दों का प्रगटावा स्वामी गुरदीप गिरि महाराज जी द्वारा अपने प्रवचनों के दौरान किया गया। उन्होंने कहाकि ईसमें कोई संदेह नहीं है कि आज का युग प्रदर्शन और कृत्रिमता का युग बनकर रह गया है। आज तड़क-भड़क को ही विशेष एवं अधिक महत्त्व दिया जाने लगा है। तन पर पहनने वाले कपडे़ हो या घरों-दफ्तरों के उपकरण या फिर और उपयोगी सामान सभी जगह प्रदर्शन प्रियता के कारण कोरी चमक-दमक का बोलवाला हैं। परन्तु आजकल हमारे समाज में सादगी और सादे लोगों को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। उन्हें समाज में कई बार तो बडी़ हीन-भावना से देखा जाता है। यही कारण है कि समाज में नैतिक पतन, भ्रष्टाचार फैल रही है। चारों तरफ़ अशांति आपाधापी और लूटपाट का माहौल बना हुआ है। इसीलिए हर एक महान पुरष ने प्रत्येक सामाजिक प्राणी को सादा जीवन और उच्च विचार अनुग्रह किया है क्योंकि सादगी भरा रहन-सहन, खान-पान और अन्य प्रकार के जीवन-व्यवहार बनाने पर ही आदमी के मन में अच्छे भाव और बिचार आ सकते हैं। वे सादगी भरे उच्च विचार ही व्यक्ति के जीवन को उच्च और महान बना सकते हैं। क्योंकि सादा अल्प व्यय-साध्य है। उसके चलाने के लिए विशेष कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता। सादगी में सौंदर्य होता है और वह शरीर की नहीं मन को भी सुन्दर बना देता है। सुन्दर शरीर और शांत मन ही उच्च विचार कर सकता है। इसलिए इन दोनों का आपस में गहरा संबंध है। यदी आप महान बनना चाहते हैं, जीवन का फल प्राप्त करना चाहते हैं तो ‘‘ सादा जीवन उच्च विचार’’ के सिद्धान्त को अपनाइएं।
