राणा के.पी. ने पी.ए.सी.एल. को बंद होने से बचाया, पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ के नेता कौंसिल चुनावों में भाजपा पार्टी को फायदा दिलाने के लिए यूनिट 1 का बेतुका मुद्दा उछाल रहे है:- संजय साहनी।

संजय साहनी की तस्वीर।
विधान सभा स्पीकर राणा के.पी ने कांग्रेस सरकार बनते ही 150 करोड़ के करीब राशी पी.ए.सी.एल. के लिए पंजाब सरकार से ली।
नंगल, 29 दिसंबर, मीडिया कोप्स:- स्थानिय कांग्रेसियों ने पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ पर आने वाले कौंसिल चुनावों में भाजपा पार्टी को फायदा देने के लिए यूनिट 1 के मुद्दे को उठाने के आरोप लगाए है। कांग्रेसियों ने तथ्यों के आधार पर अपनी मौजूदा सरकार के समय पी.ए.सी.एल. में हुए सुधारों का व्यान करते हुए इसका श्रेय विधानसभा सपीकर राणा के.पी को दिया है। इसके इलावा उन्होंने अकाली भाजपा के समय पी.ए.सी.एल. फैक्टरी के बंद होने के हालात का भी व्यान किया है।
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कांग्रेस ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष संजय साहनी, महासचिव उमा कांत, सिनियर नेता अशोक सैणी, सिनियर उपाध्यक्ष सुरिंदर पमा, प्रवक्ता टोनी सहगल, ने कहाकि यूनियन ने खुद माना है की अगर पी.ए.सी.एल. के यूनिट 1 को अपगे्रड किया जाता है तो उसमें 20-21 करड़ो खर्च होंगे। जो फैक्टरी 2-3 महीनों में कमा लेगी। यूनियन के ब्यानों से साफ है की अब फैक्टरी हर महीने 7-10 करोड़ रुपए महीना कमा रही है। जो यूनियन फैक्टरी के इतने बड़े मुनाफे की बात कर रही है। 2017 से पहले इन्हें अपनी 2012-17 की अकाली भाजपा सरकार के समय लगता था के पी.ए.सी.एल. किसी भी समय बंद हो सकती है। विधानसभा स्पीकर राणा के.पी. ने 2017 में कांग्रेस की सरकार बनने पर पी.ए.सी.एल. को पंजाब सरकार से 150 करोड़ रुपए के करीब की सहायता दिलाई। जिसमें बिजली के बिल का भुगतान व फैक्टरी को दी ग्रांट और फैक्टरी में किए सुधार शामिल है। 2017 में विधानसभा स्पीकर राणा कवर पाल के प्रयासों से पी.ए.सी.एल. में हुए सुधारों को पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ के नेता भूल गए है। क्योंकि पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ आने वाले कौंसिल चुनावों को लेकर पी.ए.सी.एल. के यूनिट 1 का बेतुका मुद्दा उछाल रही है, जो बिलकुल झुठा है। पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ भाजपा का ही हिस्सा है। यह अपनी सरकार के समय जो पी.ए.सी.एल. के हालात थे, शायद वह भूल गए है।
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पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ के नेता अपने कुछ स्थानिय नेताओं के कहने पर अपनी पार्टी को कौंसिल चुनावों में फायदा दिलाने के लिए यूनिट 1 के बेतुके मुद्दे को उछाल रहे है। जबकी 2012 से 2017 तक की इनकी सरकार के समय इनका नेता पंजाब सरकार में उद्योग मंत्री था। इस दौरान लगता था के पी.ए.सी.एल. किसी समय बंद हो सकती है। उस समय 2016 में एक समय ऐसा आ गया था के पी.ए.सी.एल. कुछ दिनों में बंद हो जाएगी। उस समय पी.ए.सी.एल. के सिर पर 100 करोड़ रुपए बिजली के बिल के भुगतान की देनदारी थी। जब इनके नेता पंजाब का उद्योग मंत्री थे उस समय फैक्टरी के पास बिजली का बिल देने के लिए भी पैसे नही थे। मुलाजमों को कई कई महीने वेतन नही मिलता था। पी.ए.सी.एल. हर महीने करोड़ो रुपए के घाटे में जा रही थी। लेकिन जब 2017 में राणा के.पी. ने पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनते ही पी.ए.सी.एल. के बिजली का बिल माफ कराया था। इसके इलावा सरकार बनने के दो तीन महीने के भीतर 20 करोड़ की ग्रांट पी.ए.सी.एल. को दिलाई थी। इस 20 करोड़ के इलावा पी.ए.सी.एल. की मशीनों में करोड़ो की लागत से सुधार किए। इस सब से पी.ए.सी.एल. हर महीने 7 करोड़ रुपए प्रति महीने से अधिक मुनाफे पर चलने लगी। 2017 से पहले पी.ए.सी.एल. घाटे में होने के कारण लंबे समय तक फैक्टरी में खाली पड़ी पोस्टे नही भरी गई थी। लेकिन 2017 के बाद जब फैक्टरी मुनाफे में चलने लगी तो 70 से अधिक पोस्टे भर कर नये युवाओं को रोगजगार दिया गया। अब यह पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ के नेता जो पी.ए.सी.एल. के यूनिट 1 बेवजह के मुद्दे को उछाल रहे है। इन लोगों को बताना चाहिए को जो पी.ए.सी.एल. का यूनिट 2 पहले 150 मैट्रिक टन कासटिक तैयार करता था। राणा के.पी. ने करोड़ो रुपए पंजाब सरकार से लेकर अब उसकी कपैसिटी बढ़ा दी गई है। वही यूनिट 2 अब 300 टन मैट्रिक टन कासटिक तैयार करता है। अगर पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ के नेता कर्मचारियों के सच्चे हितैशी है तो इन्हें सच्च बोलना चाहिए। क्या यह सच बोलेगे के इनकी अकाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में फैक्टरी के क्या हालात थे और अब कांग्रेस सरकार के समय क्या है। इन्हें विधानसभा स्पीकर राणा के.पी. के द्वारा फैक्टरी के लिए किए सकारात्मक कार्यो की भी बात करनी चाहिए थी। पर यह बात यह खुद मान रहे है की फैक्टरी अब 2-3 महीनों में 20-21 करोड़ रुपए कमा लेती है। पी.ए.सी.एल. कर्मचारी संघ के नेता फैक्टरी के कर्मचारियों का नेतृत्व करने की बजाए फैक्टरी के बेवजह मुद्दे उठाकर अपनी पार्टी भाजपा के लिए काम कर रहे है। इसलिए पी.ए.सी.एल. को आधार बनाकर यूनिट 1 के बेवजह के मुद्दे को उछाला जा रहा है। लेकिन ऐसे झूठे मुद्दों का इन व इनकी पार्टी को कोई फायदा नही होगा। बाकी पी.ए.सी.एल. के कर्मचारी जो असलीयत जानते है, शहर के लोगों को भी असलीयत मालुम है। शहर की जनता जानती है की इनके कार्यकाल में पी.ए.सी.एल. बंद होने की कगार पर पहुंची। इसके इलावा इनकी 1997 से 2002 के अकाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में नंगल का पी.एन.एफ.सी. कारखाना बंद हुआ। जिससे 1000 के करीब कर्मचारी बेरोजगार हुए थे।
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